10 जब मैं रोकर और उपवास करके दु:ख उठाता था, तब उससे भी मेरी नामधराई ही हुई।
11 और जब मैं टाट का वस्त्र पहिने था, तब मेरा दृष्टान्त उन में चलता था।
12 फाटक के पास बैठने वाले मेरे विषय बातचीत करते हैं, और मदिरा पीने वाले मुझ पर लगता हुआ गीत गाते हैं।
13 परन्तु हे यहोवा, मेरी प्रार्थना तो तेरी प्रसन्नता के समय में हो रही है; हे परमेश्वर अपनी करूणा की बहुतायात से, और बचाने की अपनी सच्ची प्रतिज्ञा के अनुसार मेरी सुन ले।
14 मुझ को दलदल में से उबार, कि मैं धंस न जाऊं; मैं अपने बैरियों से, और गहिरे जल में से बच जाऊं।
15 मैं धारा में डूब न जाऊं, और न मैं गहिरे जल में डूब मरूं, और न पाताल का मुंह मेरे ऊपर बन्द हो॥
16 हे यहोवा, मेरी सुन ले, क्योंकि तेरी करूणा उत्तम है; अपनी दया की बहुतायत के अनुसार मेरी ओर ध्यान दे।