25 उनकी छावनी उजड़ जाए, उनके डेरों में कोई न रहे।
26 क्योंकि जिस को तू ने मारा, वे उसके पीछे पड़े हैं, और जिन को तू ने घायल किया, वे उनकी पीड़ा की चर्चा करते हैं।
27 उनके अधर्म पर अधर्म बढ़ा; और वे तेरे धर्म को प्राप्त न करें।
28 उनका नाम जीवन की पुस्तक में से काटा जाए, और धर्मियों के संग लिखा न जाए॥
29 परन्तु मैं तो दु:खी और पीड़ित हूं, इसलिये हे परमेश्वर तू मेरा उद्धार करके मुझे ऊंचे स्थान पर बैठा।
30 मैं गीत गाकर तेरे नाम की स्तुति करूंगा, और धन्यवाद करता हुआ तेरी बड़ाई करूंगा।
31 यह यहोवा को बैल से अधिक, वरन सींग और खुर वाले बैल से भी अधिक भाएगा।