भजन संहिता 74:1-7 HHBD

1 हे परमेश्वर, तू ने हमें क्यों सदा के लिये छोड़ दिया है? तेरी कोपाग्नि का धुआं तेरी चराई की भेंड़ों के विरुद्ध क्यों उठ रहा है?

2 अपनी मण्डली को जिसे तू ने प्राचीन काल में मोल लिया था, और अपने निज भाग का गोत्र होने के लिये छुड़ा लिया था, और इस सिय्योन पर्वत को भी, जिस पर तू ने वास किया था, स्मारण कर!

3 अपने डग सनातन की खंडहर की ओर बढ़ा; अर्थात उन सब बुराइयों की ओर जो शत्रु ने पवित्र स्थान में किए हैं॥

4 तेरे द्रोही तेरे सभा स्थान के बीच गरजते रहे हैं; उन्होंने अपनी ही ध्वजाओं को चिन्ह ठहराया है। वे उन मनुष्यों के समान थे

5 जो घने वन के पेड़ों पर कुल्हाड़े चलाते हैं।

6 और अब वे उस भवन की नक्काशी को, कुल्हाडियों और हथौड़ों से बिलकुल तोड़े डालते हैं।

7 उन्होंने तेरे पवित्र स्थान को आग में झोंक दिया है, और तेरे नाम के निवास को गिरा कर अशुद्ध कर डाला है।