भजन संहिता 88:9-15 HHBD

9 दु:ख भोगते भोगते मेरी आंखे धुन्धला गई। हे यहोवा मैं लगातार तुझे पुकारता और अपने हाथ तेरी ओर फैलाता आया हूं।

10 क्या तू मुर्दों के लिये अदभुत काम करेगा? क्या मरे लोग उठ कर तेरा धन्यवाद करेंगे?

11 क्या कबर में तेरी करूणा का, और विनाश की दशा में तेरी सच्चाई का वर्णन किया जाएगा?

12 क्या तेरे अदभुत काम अन्धकार में, वा तेरा धर्म विश्वासघात की दशा में जाना जाएगा?

13 परन्तु हे यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी है; और भोर को मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचेगी।

14 हे यहोवा, तू मुझ को क्यों छोड़ता है? तू अपना मुख मुझ से क्यों छिपाता रहता है?

15 मैं बचपन ही से दु:खी वरन अधमुआ हूं, तुझ से भय खाते मैं अति व्याकुल हो गया हूं।