यशायाह 32:14-20 HHBD

14 क्योंकि राजभवन त्यागा जाएगा, कोलाहल से भरा नगर सुनसान हो जाएगा और पहाड़ी और उन पर के पहरूओं के घर सदा के लिये मांदे और जंगली गदहों को विहारस्थान और घरैलू पशुओं की चराई उस समय तक बने रहेंगे

15 जब तक आत्मा ऊपर से हम पर उण्डेला न जाए, और जंगल फलदायक बारी न बने, और फलदायक बारी फिर वन न गिनी जाए।

16 तब उस जंगल में न्याय बसेगा, और उस फलदायक बारी में धर्म रहेगा।

17 और धर्म का फल शांति और उसका परिणाम सदा का चैन और निश्चिन्त रहना होगा।

18 मेरे लोग शान्ति के स्थानों में निश्चिन्त रहेंगे, और विश्राम के स्थानों में सुख से रहेंगे।

19 और वन के विनाश के समय ओले गिरेंगे, और नगर पूरी रीति से चौपट हो जाएगा।

20 क्या ही धन्य हो तुम जो सब जलाशयों के पास बीज बोते, और बैलों और गदहों को स्वतन्त्रता से चराते हो॥