यशायाह 33:12-18 HHBD

12 देश देश के लोग फूंके हुए चूने के सामान हो जाएंगे, और कटे हुए कटीले पेड़ों की नाईं आग में जलाए जाएंगे॥

13 हे दूर दूर के लोगों, सुनो कि मैं ने क्या किया है? और तुम भी जो निकट हो, मेरा पराक्रम जान लो।

14 सिय्योन के पापी थरथरा गए हैं: भक्तिहीनों को कंपकंपी लगी है: हम में से कौन प्रचण्ड आग में रह सकता? हम में से कौन उस आग में बना रह सकता है जो कभी नहीं बुझेगी?

15 जो धर्म से चलता और सीधी बातें बोलता; जो अन्धेर के लाभ से घृणा करता, जो घूस नहीं लेता; जो खून की बात सुनने से कान बन्द करता, और बुराई देखने से आंख मूंद लेता है। वही ऊंचे स्थानों में निवास करेगा।

16 वह चट्टानों के गढ़ों में शरण लिए हुए रहेगा; उसको रोटी मिलेगी और पानी की घटी कभी न होगी॥

17 तू अपनी आंखों से राजा को उसकी शोभा सहित देखेगा; और लम्बे चौड़े देश पर दृष्टि करेगा।

18 तू भय के दिनों को स्मरण करेगा: लेखा लेने वाला और कर तौल कर लेने वाला कहां रहा? गुम्मटों का गिनने वाला कहां रहा?