यशायाह 40:15-21 HHBD

15 देखो, जातियां तो डोल की एक बून्द वा पलड़ों पर की धूलि के तुल्य ठहरीं; देखो, वह द्वीपों को धूलि के किनकों सरीखे उठाता है।

16 लबानोन भी ईधन के लिये थोड़ा होगा और उस में के जीव-जन्तु होमबलि के लिये बस न होंगे।

17 सारी जातियां उसके साम्हने कुछ नहीं हैं, वे उसकी दृष्टि में लेश और शून्य से भी घट ठहरीं हैं॥

18 तुम ईश्वर को किस के समान बताओगे और उसकी उपमा किस से दोगे?

19 मूरत! कारीगर ढालता है, सोनार उसको सोने से मढ़ता और उसके लिये चान्दी की सांकलें ढाल कर बनाता है।

20 जो कंगाल इतना अर्पण नहीं कर सकता, वह ऐसा वृक्ष चुन लेता है जो न घुने; तब एक निपुण कारीगर ढूंढकर मूरत खुदवाता और उसे ऐसा स्थिर कराता है कि वह हिल न सके॥

21 क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? क्या तुम को आरम्भ ही से नहीं बताया गया? क्या तुम ने पृथ्वी की नेव पड़ने के समय ही से विचार नहीं किया?