यशायाह 54:11-17 HHBD

11 हे दु:खियारी, तू जो आंधी की सताई है और जिस को शान्ति नहीं मिली, सुन, मैं तेरे पत्थरों की पच्चीकारी कर के बैठाऊंगा, और तेरी नेव नीलमणि से डालूंगा।

12 तेरे कलश मैं माणिकों, तेरे फाटक लालडिय़ोंसे और तेरे सब सिवानों को मनोहर रत्नों से बनाऊंगा।

13 तेरे सब लड़के यहोवा के सिखलाए हुए होंगे, और उनको बड़ी शान्ति मिलेगी।

14 तू धामिर्कता के द्वारा स्थिर होगी; तू अन्धेर से बचेगी, क्योंकि तुझे डरना न पड़ेगा; और तू भयभीत होने से बचेगी, क्योंकि भय का कारण तेरे पास न आएगा।

15 सुन, लोग भीड़ लगाएंगे, परन्तु मेरी ओर से नहीं; जितने तेरे विरुद्ध भीड़ लगाएंगे वे तेरे कारण गिरेंगे।

16 सुन, एक लोहार कोएले की आग धोंककर इसके लिये हथियार बनाता है, वह मेरा ही सृजा हुआ है। उजाड़ने के लिये भी मेरी ओर से एक नाश करने वाला सृजा गया है।

17 जितने हथियार तेरी हानि के लिये बनाए जाएं, उन में से कोई सफल न होगा, और, जितने लोग मुद्दई हो कर तुझ पर नालिश करें उन सभों से तू जीत जाएगा। यहोवा के दासों का यही भाग होगा, और वे मेरे ही कारण धर्मी ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है॥