19 और जो भोजन मैं ने तुझे दिया था, अर्थात जो मैदा, तेल और मधु मैं तुझे खिलाता था, वह सब तू ने उनके साम्हने सुखदायक सुगन्ध कर के रखा; प्रभु यहोवा की यही वाणी है कि यों ही हुआ।
20 फिर तू ने अपने पुत्र-पुत्रियां ले कर जिन्हें तू ने मेरे लिये जन्म दिया, उन मूरतों को नैवेद्य कर के चढ़ाई। क्या तेरा व्यभिचार ऐसी छोटी बात थी;
21 कि तू ने मेरे लड़के-बाले उन मूरतों के आगे आग में चढ़ा कर घात किए हैं?
22 और तू ने अपने सब घृणित कामों में और व्यभिचार करते हुए, अपने बचपन के दिनों की कभी सुधि न ली, जब कि तू नंगी अपने लोहू में लोटती थी।
23 और तेरी उस सारी बुराई के पीछे क्या हुआ?
24 प्रभु यहोवा की यह वाणी है, हाय, तुझ पर हाय! कि तू ने एक गुम्मट बनवा लिया, और हर एक चौक में एक ऊंचा स्थान बनवा लिया;
25 और एक एक सड़क के सिरे पर भी तू ने अपना ऊंचा स्थान बनवा कर अपनी सुन्दरता घृणित करा दी, और हर एक यात्री को कुकर्म के लिये बुला कर महाव्यभिचारिणी हो गई।