यहेजकेल 20:27-33 HHBD

27 हे मनुष्य के सन्तान, तू इस्राएल के घराने से कह, प्रभु यहोवा यों कहता है, तुम्हारे पुरखाओं ने इस में भी मेरी निन्दा की कि उन्होंने मेरा विश्वासघात किया।

28 क्योंकि जब मैं ने उन को उस देश में पहुंचाया, जिसके उन्हें देने की शपथ मैं ने उन से खाई थी, तब वे हर एक ऊंचे टीले और हर एक घने वृक्ष पर दृष्टि कर के वहीं अपने मेलबलि करने लगे; और वहीं रिस दिलाने वाली अपनी भेंटें चढ़ाने लगे और वहीं अपना सुखदायक सुगन्धद्रव्य जलाने लगे, और वहीं अपने तपावन देने लगे।

29 तब मैं ने उन से पूछा, जिस ऊंचे स्थान को तुम लोग जाते हो, उस से क्या प्रयोजन है? इसी से उसका नाम आज तक बामा कहलाता है।

30 इसलिये इस्राएल के घराने से कह, प्रभु यहोवा तुम से यह पूछता है, क्या तुम भी अपने पुरखाओं की रीति पर चल कर अशुद्ध हो कर, और उनके घिनौने कामों के अनुसार व्यभिचारिणी की नाईं काम करते हो?

31 आज तक जब जब तुम अपनी भेंटें चढ़ाते और अपने लड़के-बालों को होम कर के आग में चढ़ाते हो, तब तब तुम अपनी मूरतों के निमित्त अशुद्ध ठहरते हो। हे इस्राएल के घराने, क्या तुम मुझ से पूछने पाओगे? प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की शपथ तुम मुझ से पूछने न पाओगे।

32 जो बात तुम्हारे मन में आती है कि हम काठ और पत्थर के उपासक हो कर अन्यजातियों और देश देश के कुलों के समान हो जाएंगे, वह किसी भांति पूरी नहीं होने की।

33 प्रभु यहोवा यों कहता है, मेरे जीवन की शपथ मैं निश्चय बली हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से, और भड़काई इुई जलजलाहट के साथ तुम्हारे ऊपर राज्य करूंगा।