12 वह अपने अश्शूरी पड़ोसियों पर मोहित होती थी, जो सब के सब अति सुन्दर वस्त्र पहिनने वाले और घोड़ों के सवार मनभावने, जवान अधिपति और और प्रकार के प्रधान थे।
13 तब मैं ने देखा कि वह भी अशुद्ध हो गई; उन दोनों बहिनों की एक ही चाल थी।
14 परन्तु ओहोलीबा अधिक व्यभिचार करती गई; सो जब उसने भीत पर सेंदूर से खींचे हुए ऐसे कसदी पुरुषें के चित्र देखे,
15 जो कटि में फेंटे बान्धे हुए, सिर में छोर लटकती हुई रंगीली पगडिय़ां पहिने हुए, और सब के सब अपनी कसदी जन्मभूमि अर्थात बाबुल के लोगों की रीति पर प्रधानों का रूप धरे हुए थे,
16 तब उन को देखते ही वह उन पर मोहित हुई और उनके पास कसदियों के देश में दूत भेजे।
17 सो बाबुली लोग उसके पास पलंग पर आए, और उसके साथ व्यभिचार कर के उसे अशुद्ध किया; और जब वह उन से अशुद्ध हो गई, तब उसका मन उन से फिर गया।
18 तौभी जब वह तन उघाड़ती और व्यभिचार करती गई, तब मेरा मन जैसे उसकी बहिन से फिर गया था, वैसे ही उस से भी फिर गया।