यहेजकेल 33:11-17 HHBD

11 सो तू ने उन से यह कह, परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न नहीं होता, परन्तु इस से कि दुष्ट अपने मार्ग से फिर कर जीवित रहे; हे इस्राएल के घराने, तुम अपने अपने बुरे मार्ग से फिर जाओ; तुम क्यों मरो?

12 और हे मनुष्य के सन्तान, अपने लोगों से यह कह, जब धमीं जन अपराध करे तब उसका धर्म उसे बचा न सकेगा; और दुष्ट की दुष्टता भी जो हो, जब वह उस से फिर जाए, तो उसके कारण वह न गिरेगा; और धमीं जन जब वह पाप करे, तब अपने धर्म के कारण जीवित न रहेगा।

13 यदि मैं धमीं से कहूं कि तू निश्चय जीवित रहेगा, और वह अपने धर्म पर भरोसा कर के कुटिल काम करने लगे, तब उसके धर्म के कामों में से किसी का स्मरण न किया जाएगा; जो कुटिल काम उसने किए हों वह उन्ही में फंसा हुआ मरेगा।

14 फिर जब मैं दुष्ट से कहूं, तू निश्चय मरेगा, और वह अपने पाप से फिर कर न्याय और धर्म के काम करने लगे,

15 अर्थात यदि दुष्ट जन बन्धक फेर दे, अपनी लूटी हुई वस्तुएं भर दे, और बिना कुटिल काम किए जीवनदायक विधियों पर चलने लगे, तो वह न मरेगा; वह निश्चय जीवित रहेगा।

16 जितने पाप उसने किए हों, उन में से किसी का स्मरण न किया जाएगा; उसने न्याय और धर्म के काम किए और वह निश्चय जीवित रहेगा।

17 तौभी तुम्हारे लोग कहते हैं, प्रभु की चाल ठीक नहीं; परन्तु उन्हीं की चाल ठीक नहीं है।