19 और जब दुष्ट अपनी दुष्टता से फिर कर न्याय और धर्म के काम करने लगे, तब वह उनके कारण जीवित रहेगा।
20 तौभी तुम कहते हो कि प्रभु की चाल ठीक नहीं? हे इस्राएल के घराने, मैं हर एक व्यक्ति का न्याय उसकी चाल ही के अनुसार करूंगा।
21 फिर हमारी बंधुआई के ग्यारहवें वर्ष के दसवें महीने के पांचवें दिन को, एक व्यक्ति जो यरूशलेम से भाग कर बच गया था, वह मेरे पास आकर कहने लगा, नगर ले लिया गया।
22 उस भागे हुए के आने से पहिले सांझ को यहोवा की शक्ति मुझ पर हुई थी; और भोर तक अर्थात उस मनुष्य के आने तक उसने मेरा मुंह खोल दिया; यों मेरा मुह खुला ही रहा, और मैं फिर गूंगा न रहा।
23 तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,
24 हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल की भूमि के उन खण्डहरों के रहने वाले यह कहते हैं, इब्राहीम एक ही मनुष्य था, तौभी देश का अधिकारी हुआ; परन्तु हम लोग बहुत से हैं, इसलिये देश निश्चय हमारे ही अधिकार में दिया गया है।
25 इस कारण तू उन से कह, परमेश्वर यहोवा यों कहता है, तुम लोग तो मांस लोहू समेत खाते और अपनी मूरतों की ओर दृष्टि करते, और हत्या करते हो; फिर क्या तुम उस देश के अधिकारी रहने पाओगे?