1 और हे मनुष्य के सन्तान, तू एक ईंट ले और उसे अपने साम्हने रख कर उस पर एक नगर, अर्थात यरूशलेम का चित्र खींच;
2 तब उसे घेर अर्थात उसके विरुद्ध क़िला बना और उसके साम्हने दमदमा बान्ध; और छावनी डाल, और उसके चारों ओर युद्ध के यंत्र लगा।
3 तब तू लोहे की थाली ले कर उसको लोहें की शहरपनाह मान कर अपने और उस नगर के बीच खड़ा कर; तब अपना मुंह उसके साम्हने कर के उसे घेरवा, इस रीति से तू उसे घेर रखना। यह इस्राएल के घराने के लिये चिन्ह ठहरेगा।
4 फिर तू अपने बांयें पांजर के बल लेट कर इस्राएल के घराने का अधर्म अपने ऊपर रख; क्योंकि जितने दिन तू उस पांजर के बल लेटा रहेगा, उतने दिन तक उन लोगों के अधर्म का भार सहता रह।
5 मैं ने उनके अधर्म के वर्षों के तुल्य तेरे लिये दिन ठहराए हैं, अर्थात तीन सौ नब्बे दिन; उतने दिन तक तू इस्राएल के घराने के अधर्म का भार सहता रह।