3 तब तू लोहे की थाली ले कर उसको लोहें की शहरपनाह मान कर अपने और उस नगर के बीच खड़ा कर; तब अपना मुंह उसके साम्हने कर के उसे घेरवा, इस रीति से तू उसे घेर रखना। यह इस्राएल के घराने के लिये चिन्ह ठहरेगा।
4 फिर तू अपने बांयें पांजर के बल लेट कर इस्राएल के घराने का अधर्म अपने ऊपर रख; क्योंकि जितने दिन तू उस पांजर के बल लेटा रहेगा, उतने दिन तक उन लोगों के अधर्म का भार सहता रह।
5 मैं ने उनके अधर्म के वर्षों के तुल्य तेरे लिये दिन ठहराए हैं, अर्थात तीन सौ नब्बे दिन; उतने दिन तक तू इस्राएल के घराने के अधर्म का भार सहता रह।
6 और जब इतने दिन पूरे हो जाएं, तब अपने दाहिने पांजर के बल लेट कर यहूदा के घराने के अधर्म का भार सह लेना; मैं ने उसके लिये भी और तेरे लिये एक वर्ष की सन्ती एक दिन अर्थात चालीस दिन ठहराए हैं।
7 और तू यरूशलेम के घेरने के लिये बांह उघाड़े हुए अपना मुंह उधर कर के उसके विरुद्ध भविष्यद्वाणी करना।
8 और देख, मैं तुझे रस्सियों से जकडूंगा, और जब तक उसके घेरने के दिन पूरे न हों, तब तक तू करवट न ले सकेगा।
9 और तू गेहूं, जव, सेम, मसूर, बाजरा, और कठिया गेहूं ले कर, एक बासन में रख कर उन से रोटी बनाया करना। जितने दिन तू अपने पांजर के बल लेटा रहेगा, उतने अर्थात तीन सौ नब्बे दिन तक उसे खाया करना।