यिर्मयाह 25:2-8 HHBD

2 यहोवा का जो वचन यिर्मयाह नबी के पास पहुंचा, और जिसे यिर्मयाह नबी ने सब यहूदियों और यरूशलेम के सब निवासियों कहा, वह यह है:

3 आमोन के पुत्र यहूदा के राजा योशिय्याह के राज्य के तेरहवें वर्ष से ले कर आज के दिन तक अर्थात तेईस वर्ष से यहोवा का वचन मेरे पास पहुंचता आया है; और मैं उसे बड़े यत्न के साथ तुम से कहता आया हूँ; परन्तु तुम ने उसे नहीं सुना।

4 और यद्यपि यहोवा तुम्हारे पास अपने सारे दासों अथवा भविष्यद्वक्ताओं को भी यह कहने के लिये बड़े यत्न से भेजता आया है

5 कि अपनी अपनी बुरी चाल और अपने अपने बुरे कामों से फिरो: तब जो देश यहोवा ने प्राचीनकाल में तुम्हारे पितरों को और तुम को भी सदा के लिये दिया है उस पर बसे रहने पाओगे; परन्तु तुम ने न तो सुना और न कान लगाया है।

6 और दूसरे देवताओं के पीछे हो कर उनकी उपासना और उन को दण्डवत मत करो, और न अपनी बनाई हुई वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाओ; तब मैं तुम्हारी कुछ हानि न करूंगा।

7 यह सुनने पर भी तुम ने मेरी नहीं मानी, वरन अपनी बनाई हुई वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाते आए हो जिस से तुम्हारी हानि ही हो सकती है, यहोवा की यही वाणी है।

8 इसलिये सेनाओं का यहोवा यों कहता है कि तुम ने जो मेरे वचन नहीं माने,