3 क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आते हैं कि मैं अपनी इस्राएली और यहूदी प्रजा को बंधुआई से लौटा लाऊंगा; और जो देश मैं ने उनके पितरों को दिया था उस में उन्हें फेर ले आऊंगा, और वे फिर उसके अधिकारी होंगे, यहोवा का यही वचन हे।
4 जो वचन यहोवा ने इस्राएलियों और यहूदियों के विषय कहे थे, वे ये हैं:
5 यहोवा यों कहता है: थरथरा देने वाला शब्द सुनाईं दे रहा है, शान्ति नहीं, भय ही का है।
6 पूछो तो भला, और देखो, क्या पुरुष को भी कहीं जनने की पीड़ा उठती है? फिर क्या कारण है कि सब पुरुष ज़च्चा की नाईं अपनी अपनी कमर अपने हाथों से दबाए हुए देख पड़ते हैं? क्यों सब के मुख फीके रंग के हो गए हैं?
7 हाय, हाय, वह दिन क्या ही भारी होगा! उसके समान और कोई दिन नहीं; वह याकूब के संकट का समय होगा; परन्तु वह उस से भी छुड़ाया जाएगा।
8 और सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, कि उस दिन मैं उसका रखा हुआ जूआ तुम्हारी गर्दन पर से तोड़ दूंगा, और तुम्हारे बन्धनों को टुकड़े-टुकड़े कर डालूंगा; और परदेशी फिर उन से अपनी सेवा न कराने पाएंगे।
9 परन्तु वे अपने परमेश्वर यहोवा और अपने राजा दाऊद की सेवा करेंगे जिस को मैं उन पर राज्य करने के लिये ठहराऊंगा।