यिर्मयाह 31:26-32 HHBD

26 इस पर मैं जाग उठा, और देखा, ओर मेरी नीन्द मुझे मीठी लगी।

27 देख, यहोवा की यह वाणी है, कि ऐसे दिन आने वाले हैं जिन में मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों के लड़के-बाले और पशु दोनों को बहुत बढ़ाऊंगा।

28 और जिस प्रकार से मैं सोच सोचकर उन को गिराता और ढाता, नष्ट करता, काट डालता और सत्यानाश ही करता था, उसी प्रकार से मैं अब सोच सोचकर उन को रोपूंगा और बढ़ाऊंगा, यहोवा की यही वाणी है।

29 उन दिनों में वे फिर न कहेंगे कि पुरखा लोगों ने तो जंगली दाख खाई, परन्तु उनके वंश के दांत खट्टे हो गए हैं।

30 क्योंकि जो कोई जंगली दाख खाए उसी के दांत खट्टे हो जाएंगे, और हर एक मनुष्य अपने ही अधर्म के कारण मारा जाएगा।

31 फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आने वाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बान्धूंगा।

32 वह उस वाचा के समान न होगी जो मैं ने उनके पुरखाओं से उस समय बान्धी थी जब मैं उनका हाथ पकड़ कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि यद्यपि मैं उनका पति था, तौभी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली।