22 उसकी आहट सर्प के भागने की सी होगी; क्योंकि वे वृक्षों के काटने वालों की सेना और कुल्हाडिय़ां लिए हुए उसके विरुद्ध चढ़ आएंगे।
23 यहोवा की यह वाणी है, कि चाहे उसका वन बहुत ही घना हो, परन्तु वे उसको काट डालेंगे, क्योंकि वे टिड्डियों से भी अधिक अनगिनित हैं।
24 मिस्री कन्या लज्जित होगी, वह उत्तर दिशा के लोगों के वश में कर दी जाएगी।
25 इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा कहता है, देखो, मैं नगरवासी आमोन और फिरौन राजा और मिस्र को उसके सब देवताओं और राजाओं समेत और फिरौन को उन समेत जो उस पर भरोसा रखते हैं दण्ड देने पर हूँ।
26 मैं उन को बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर और उसके कर्मचारियों के वश में कर दूंगा जो उनके प्राण के खोजी हैं। उसके बाद वह प्राचीनकाल की नाईं फिर बसाया जाएगा, यहोवा की यह वाणी है।
27 परन्तु हे मेरे दास याकूब, तू मत डर, और हे इस्राएल, विस्मित न हो; क्योंकि मैं तुझे और तेरे वंश को बंधुआई के दूर देश से छुड़ा ले आऊंगा। याकूब लौटकर चैन और सुख से रहेगा, और कोई उसे डराने न पाएगा।
28 हे मेरे दास याकूब, यहोवा की यह वाणी है, कि तू मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ। ओर यद्यपि मैं उन सब जातियों का अन्त कर डालूंगा जिन में मैं ने तुझे बरबस निकाल दिया है, तौभी तेरा अन्त न करूंगा। मैं तेरी ताड़ना विचार कर के करूंगा, परन्तु तुझे किसी प्रकार से निर्दोष न ठहराऊंगा।