यिर्मयाह 51:15-21 HHBD

15 उसी ने पृथ्वी को अपने सामर्थ से बनाया, और जगत को अपनी बुद्धि से स्थिर किया; और आकाश को अपनी प्रवीणता से तान दिया है।

16 जब वह बोलता है तब आकाश में जल का बड़ा शब्द होता है, वह पृथ्वी की छोर से कुहरा उठाता है। वह वर्षा के लिये बिजली बनाता, और अपने भण्डार में से पवन निकाल ले आता है।

17 सब मनुष्य पशु सरीखे ज्ञानरहित है; सब सोनारों को अपनी खोदी हुई मूरतों के कारण लज्जित होना पड़ेगा; क्योंकि उनकी ढाली हुई मूरतें धोखा देने वाली हैं, और उनके कुछ भी सांस नहीं चलती।

18 वे तो व्यर्थ और ठट्ठे ही के योग्य है; जब उनके नाश किए जाने का समय आएगा, तब वे नाश ही होंगी।

19 परन्तु जो याकूब का निज भाग है, वह उनके समान नहीं, वह तो सब का बनाने वाला है, और इस्राएल उसका निज भाग है; उसका नाम सेनाओं का यहोवा है।

20 तू मेरा फरसा और युद्ध के लिये हथियार ठहराया गया है; तेरे द्वारा मैं जाति जाति को तितर-बितर करूंगा; और तेरे ही द्वारा राज्य राज्य को नाश करूंगा।

21 तेरे ही द्वारा मैं सवार समेत घोड़ों को टुकड़े टुकड़े करूंगा;