19 सिय्योन से शोक का यह गीत सुन पड़ता है, हम कैसे नाश हो गए! हम क्यों लज्जा में पड़ गए हैं, क्योंकि हम को अपना देश छोड़ना पड़ा और हमारे घर गिरा दिए गए हैं।
20 इसलिये, हे स्त्रियों, यहोवा का यह वचन सुनो, और उसकी यह आज्ञा मानो; तुम अपनी अपनी बेटियों को शोक का गीत, और अपनी अपनी पड़ोसियों को विलाप का गीत सिखाओ।
21 क्योंकि मृत्यु हमारी खिड़कियों से हो कर हमारे महलों में घुस आई है, कि, हमारी सड़कों में बच्चों को और चौकों में जवानों को मिटा दे।
22 तू कह, यहोवा यों कहता है, मनुष्यों की लोथें ऐसी पड़ी रहेंगी जैसा खाद खेत के ऊपर, और पूलियां काटने वाले के पीछे पड़ी रहती हैं, और उनका कोई उठाने वाला न होगा।
23 यहोवा यों कहता है, बुद्धिमान अपनी बुद्धि पर घमण्ड न करे, न वीर अपनी वीरता पर, न धनी अपने धन पर घमण्ड करे;
24 परन्तु जो घमण्ड करे वह इसी बात पर घमण्ड करे, कि वह मुझे जानता और समझता हे, कि मैं ही वह यहोवा हूँ, जो पृथ्वी पर करुणा, न्याय और धर्म के काम करता है; क्योंकि मैं इन्हीं बातों से प्रसन्न रहता हूँ।
25 देखो, यहोवा की यह वाणी है कि ऐसे दिन आने वाले हैं कि जिनका खतना हुआ हो, उन को खतनारहितों के समान दण्ड दूंगा,