16 वरन मुट्ठी भर जाने पर कुछ कुछ निकाल कर गिरा भी दिया करो, और उसके बीनने के लिये छोड़ दो, और उसे घुड़ को मत।
17 सो वह सांझ तक खेत में बीनती रही; तब जो कुछ बीन चुकी उसे फटका, और वह कोई एपा भर जौ निकला।
18 तब वह उसे उठा कर नगर में गई, और उसकी सास ने उसका बीना हुआ देखा, और जो कुछ उसने तृप्त हो कर बचाया था उसको उसने निकाल कर अपनी सास को दिया।
19 उसकी सास ने उस से पूछा, आज तू कहां बीनती, और कहां काम करती थी? धन्य वह हो जिसने तेरी सुधि ली है। तब उसने अपनी सास को बता दिया, कि मैं ने किस के पास काम किया, और कहा, कि जिस पुरूष के पास मैं ने आज काम किया उसका नाम बोअज है।
20 नाओमी ने अपनी बहू से कहा, वह यहोवा की ओर से आशीष पाए, क्योंकि उसने न तो जीवित पर से और न मरे हुओं पर से अपनी करूणा हटाई! फिर नाओमी ने उस से कहा, वह पुरूष तो हमारा कुटुम्बी है, वरन उन में से है जिन को हमारी भूमि छुड़ाने का अधिकार है।
21 फिर रूत मोआबिन बोली, उसने मुझ से यह भी कहा, कि जब तक मेरे सेवक मेरी कटनी पूरी न कर चुकें तब तक उन्हीं के संग संग लगी रह।
22 नाओमी ने अपनी बहु रूत से कहा, मेरी बेटी यह अच्छा भी है, कि तू उसी की दासियों के साथ साथ जाया करे, और वे तुझ को दूसरे के खेत में न मिलें।