5 उसने उस से कहा, जो कुछ तू कहती है वह सब मैं करूंगी।
6 तब वह खलिहान को गई और अपनी सास की आज्ञा के अनुसार ही किया।
7 जब बोअज खा पी चुका, और उसका मन आनन्दित हुआ, तब जा कर राशि के एक सिरे पर लेट गया। तब वह चुपचाप गई, और उसके पांव उघार के लेट गई।
8 आधी रात को वह पुरूष चौंक पड़ा, और आगे की ओर झुककर क्या पाया, कि मेरे पांवों के पास कोई स्त्री लेटी है।
9 उसने पूछा, तू कौन है? तब वह बोली, मैं तो तेरी दासी रूत हूं; तू अपनी दासी को अपनी चद्दर ओढ़ा दे, क्योंकि तू हमारी भूमि छुड़ाने वाला कुटुम्बी है।
10 उसने कहा, हे बेटी, यहोवा की ओर से तुझ पर आशीष हो; क्योंकि तू ने अपनी पिछली प्रीति पहिली से अधिक दिखाई, क्योंकि तू, क्या धनी, क्या कंगाल, किसी जवान के पीछे नहीं लगी।
11 इसलिये अब, हे मेरी बेटी, मत डर, जो कुछ तू कहेगी मैं तुझ से करूंगा; क्योंकि मेरे नगर के सब लोग जानते हैं कि तू भली स्त्री है।