विलापगीत 1:2-8 HHBD

2 रात को वह फूट फूट कर रोती है, उसके आंसू गालों पर ढलकते हैं; उसके सब यारों में से अब कोई उसे शान्ति नहीं देता; उसके सब मित्रों ने उस से विश्वासघात किया, और उसके शत्रु बन गए हैं।

3 यहूदा दु:ख और कठिन दासत्व से बचने के लिये परदेश चली गई; परन्तु अन्यजातियों में रहती हुई वह चैन नहीं पाती; उसके सब खदेड़ने वालों ने उसकी सकेती में उसे पकड़ लिया है।

4 सिय्योन के मार्ग विलाप कर रहे हैं, क्योंकि नियत पर्वों में कोई नहीं आता है; उसके सब फाटक सुनसान पड़े हैं, उसके याजक कराहते हैं; उसकी कुमारियां शोकित हैं, और वह आप कठिन दु:ख भोग रही है।

5 उसके द्रोही प्रधान हो गए, उसके शत्रु उन्नति कर रहे हैं, क्योंकि यहोवा ने उसके बहुत से अपराधों के कारण उसे दु:ख दिया है; उसके बाल-बच्चों को शत्रु हांक हांक कर बंधुआई में ले गए।

6 सिय्योन की पुत्री का सारा प्रताप जाता रहा है। उसके हाकिम ऐसे हरिणों के समान हो गए हैं जो कुछ चराई नहीं पाते; वे खदेड़ने वालों के साम्हने से बलहीन हो कर भागते हैं।

7 यरूशलेम ने, इन दु:ख भरे और संकट के दिनों में, जब उसके लोग द्रोहियों के हाथ में पड़े और उसका कोई सहायक न रहा, तब अपनी सब मनभावनी वस्तुओं को जो प्राचीनकाल से उसकी थीं, स्मरण किया है। उसके द्रोहियों ने उसको उजड़ा देखकर ठट्ठों में उड़ाया है।

8 यरूशलेम ने बड़ा पाप किया, इसलिये वह अशुद्ध स्त्री सी हो गई है; जितने उसका आदर करते थे वे उसका निरादर करते हैं, क्योंकि उन्होंने उसकी नंगाई देखी है; हां, वह कराहती हुई मुंह फेर लेती है।