विलापगीत 2:2-8 HHBD

2 यहोवा ने याकूब की सब बस्तियों को निठुरता से नष्ट किया है; उसने रोष में आकर यहूदा की पुत्री के दृढ़ गढ़ों को ढाकर मिट्टी में मिला दिया है; उसने हाकिमों समेत राज्य को अपवित्र ठहराया है।

3 उसने क्रोध में आकर इस्राएल के सींग को जड़ से काट डाला है; उसने शत्रु के साम्हने उनकी सहायता करने से अपना दहिना हाथ खींच लिया हे; उसने चारों ओर भस्म करती हुई लौ की नाईं याकूब को जला दिया है।

4 उसने शत्रु बनकर धनुष चढ़ाया, और बैरी बनकर दाहिना हाथ बढ़ाए हुए खड़ा है; और जितने देखने में मनभावने थे, उन सब को उसने घात किया; सिय्योन की पुत्री के तम्बू पर उसने आग की नाईं अपनी जलजलाहट भड़का दी है।

5 यहोवा शत्रु बन गया, उसने इस्राएल को निगल लिया; उसके सारे भवनों को उसने मिटा दिया, और उसके दृढ़ गढ़ों को नष्ट कर डाला है; और यहूदा की पुत्री का रोना-पीटना बहुत बढ़ाया है।

6 उसने अपना मण्डप बारी के मचान की नाईं अचानक गिरा दिया, अपने मिलापस्थान को उसने नाश किया है; यहोवा ने सिय्योन में नियत पर्व और विश्रामदिन दोनों को भुला दिया है, और अपने भड़के हुए कोप से राजा और याजक दोनों का तिरस्कार किया है।

7 यहोवा ने अपनी वेदी मन से उतार दी, और अपना पवित्रस्थान अपमान के साथ तज दिया है; उसके भवनों की भीतों को उसने शत्रुओं के वश में कर दिया; यहोवा के भवन में उन्होंने ऐसा कोलाहल मचाया कि मानो नियत वर्ष का दिन हो।

8 यहोवा ने सिय्योन की कुमारी की शहरपनाह तोड़ डालने को ठाना था: उसने डोरी डाली और अपना हाथ उसे नाश करने से नहीं खींचा; उसने किले और शहरपनाह दोनों से विलाप करवाया, वे दोनों एक साथ गिराए गए हैं।