14 और अपने इस पर्व्व में अपने अपने बेटे बेटियों, दास-दासियों समेत तू और जो लेवीय, और परदेशी, और अनाथ, और विधवाएं तेरे फाटकों के भीतर होंवे भी आनन्द करें।
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