व्यवस्थाविवरण 31:18-24 HHBD

18 उस समय मैं उन सब बुराइयों के कारण जो ये पराये देवताओं की ओर फिर कर करेंगे नि:सन्देह उन से अपना मुंह छिपा लूंगा।

19 सो अब तुम यह गीत लिख लो, और तू उसे इस्राएलियों को सिखाकर कंठ करा देना, इसलिये कि यह गीत उनके विरुद्ध मेरा साक्षी ठहरे।

20 जब मैं इन को उस देश में पहुंचाऊंगा जिसे देने की मैं ने इनके पूर्वजों से शपथ खाईं थी, और जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और खाते-खाते इनका पेट भर जाए, और ये हृष्ट-पुष्ट हो जाएंगे; तब ये पराये देवताओं की ओर फिरकर उनकी उपासना करने लगेंगे, और मेरा तिरस्कार करके मेरी वाचा को तोड़ देंगे।

21 वरन अभी भी जब मैं इन्हें इस देश में जिसके विषय मैं ने शपथ खाई है पहुंचा नहीं चुका, मुझे मालूम है, कि ये क्या क्या कल्पना कर रहे हैं; इसलिये जब बहुत सी विपत्तियां और क्लेश इन पर आ पड़ेंगे, तब यह गीत इन पर साक्षी देगा, क्योंकि इनकी सन्तान इस को कभी भी नहीं भूलेगी।

22 तब मूसा ने उसी दिन यह गीत लिख कर इस्राएलियों को सिखाया।

23 और उसने नून के पुत्र यहोशू को यह आज्ञा दी, कि हियाव बान्ध और दृढ़ हो; क्योंकि इस्राएलियों को उस देश में जिसे उन्हें देने को मैं ने उन से शपथ खाई है तू पहुंचाएगा; और मैं आप तेरे संग रहूंगा॥

24 जब मूसा इस व्यवस्था के वचन को आदि से अन्त तक पुस्तक में लिख चुका,