श्रेष्ठगीत 1:5-11 HHBD

5 हे यरूशलेम की पुत्रियों, मैं काली तो हूं परन्तु सुन्दर हूं, केदार के तम्बुओं के और सुलैमान के पर्दों के तुल्य हूं।

6 मुझे इसलिये न घूर कि मैं साँवली हूं, क्योंकि मैं धूप से झुलस गई। मेरी माता के पुत्र मुझ से अप्रसन्न थे, उन्होंने मुझ को दाख की बारियों की रखवालिन बनाया; परन्तु मैं ने अपनी निज दाख की बारी की रखवाली नहीं की!

7 हे मेरे प्राणप्रिय मुझे बता, तू अपनी भेड़-बकरियां कहां चराता है, दोपहर को तू उन्हें कहां बैठाता है; मैं क्यों तेरे संगियों की भेड़-बकरियों के पास घूंघट काढ़े हुए भटकती फिरूं?

8 हे स्त्रियों में सुन्दरी, यदि तू यह न जानती हो तो भेड़-बकरियों के खुरों के चिन्हों पर चल और चरावाहों के तम्बुओं के पास अपनी बकरियों के बच्चों को चरा॥

9 हे मेरी प्रिय मैं ने तेरी तुलना फिरौन के रथों में जुती हुई घोड़ी से की है।

10 तेरे गाल केशों के लटों के बीच क्या ही सुन्दर हैं, और तेरा कण्ठ हीरों की लड़ों के बीच।

11 हम तेरे लिये चान्दी के फूलदार सोने के आभूषण बनाएंगे।