श्रेष्ठगीत 6:8-13 HHBD

8 वहां साठ रानियां और अस्सी रखेलियां और असंख्य कुमारियां भी हैं।

9 परन्तु मेरी कबूतरी, मेरी निर्मल, अद्वैत है अपनी माता की एकलौती अपनी जननी की दुलारी है। पुत्रियों ने उसे देखा और धन्य कहा; रानियों और रखेलियों ने देखकर उसकी प्रशंसा की।

10 यह कौन है जिसकी शोभा भोर के तुल्य है, जो सुन्दरता में चन्द्रमा और निर्मलता में सूर्य और पताका फहराती हुई सेना के तुल्य भयंकर दिखाई पड़ती है?

11 मैं अखरोट की बारी में उत्तर गई, कि तराई के फूल देखूं, और देखूं की दाखलता में कलियें लगीं, और अनारों के फूल खिले कि नहीं।

12 मुझे पता भी न था कि मेरी कल्पना ने मुझे अपने राजकुमार के रथ पर चढ़ा दिया॥

13 लौट आ, लौट आ, हे शूलम्मिन, लौट आ, लौट आ, कि हम तुझ पर दृष्टि करें॥ क्या तुम शूलेम्मिन को इस प्रकार देखोगे जैसा महनैम के नृत्य को देखते हो?