श्रेष्ठगीत 8:8-14 HHBD

8 हमारी एक छोटी बहिन है, जिसकी छातियां अभी नहीं उभरी। जिस दिन हमारी बहिन के ब्याह की बात लगे, उस दिन हम उसके लिये क्या करें?

9 यदि वह शहरपनाह हो तो हम उस पर चान्दी का कंगूरा बनाएंगे; और यदि वह फाटक का किवाड़ हो, तो हम उस पर देवदारू की लकड़ी के पटरे लगाएंगे॥

10 मैं शहरपनाह थी और मेरी छातियां उसके गुम्मट; तब मैं अपने प्रेमी की दृष्टि में शान्ति लाने वाले के नाईं थी॥

11 बाल्हामोन में सुलैमान की एक दाख की बारी थी; उसने वह दाख की बारी रखवालों को सौंप दी; हर एक रखवाले को उसके फलों के लिये चान्दी के हजार हजार टुकड़े देने थे।

12 मेरी निज दाख की बारी मेरे ही लिये है; हे सुलैमान, हजार तुझी को और फल के रखवालों को दो सौ मिलें॥

13 तू जो बारियों में रहती है, मेरे मित्र तेरा बोल सुनना चाहते हैं; उसे मुझे भी सुनने दे॥

14 हे मेरे प्रेमी, शीघ्रता कर, और सुगन्ध द्रव्यों के पहाड़ों पर चिकारे वा जवान हरिण के नाईं बन जा॥