सभोपदेशक 12:1-7 HHBD

1 अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्मरण रख, इस से पहिले कि विपत्ति के दिन और वे वर्ष आएं, जिन में तू कहे कि मेरा मन इन में नहीं लगाता।

2 इस से पहिले कि सूर्य और प्रकाश और चन्द्रमा और तारागण अंधेरे हो जाएं, और वर्षा होने के बादल फिर घिर जाएं;

3 उस समय घर के पहरूए कांपेंगे, और बलवन्त झुक जायंगे, और पीसनहारियां थोड़ी रहने के कारण काम छोड़ देंगी, और झरोखों में से देखने वालियां अन्धी हो जाएगी,

4 और सड़क की ओर के किवाड़ बन्द होंगे, और चक्की पीसने का शब्द धीमा होगा, और तड़के चिडिय़ा बोलते ही एक उठ जाएगा, और सब गाने वालियों का शब्द धीमा हो जाएगा।

5 फिर जो ऊंचा हो उस से भय खाया जाएगा, और मार्ग में डरावनी वस्तुएं मानी जाएंगी; और बादाम का पेड़ फूलेगा, और टिड्डी भी भारी लगेगी, और भूख बढ़ाने वाला फल फिर काम न देगा; क्योंकि मनुष्य अपने सदा के घर को जायेगा, और रोने पीटने वाले सड़क सड़क फिरेंगे।

6 उस समय चान्दी का तार दो टुकड़े हो जाएगा और सोने का कटोरा टूटेगा; और सोते के पास घड़ा फूटेगा, और कुण्ड के पास रहट टूट जाएगा,

7 जब मिट्टी ज्यों की त्यों मिट्टी में मिल जाएगी, और आत्मा परमेश्वर के पास जिसने उसे दिया लौट जाएगी।