नीतिवचन 7:18-24 HHBD

18 इसलिये अब चल हम प्रेम से भोर तक जी बहलाते रहें; हम परस्पर की प्रीति से आनन्दित रहें।

19 क्योंकि मेरा पति घर में नहीं है; वह दूर देश को चला गया है;

20 वह चान्दी की थैली ले गया है; और पूर्णमासी को लौट आएगा॥

21 ऐसी ही बातें कह कह कर, उस ने उस को अपनी प्रबल माया में फंसा लिया; और अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से उस को अपने वश में कर लिया।

22 वह तुरन्त उसके पीछे हो लिया, और जैसे बैल कसाई-खाने को, वा जैसे बेड़ी पहिने हुए कोई मूढ़ ताड़ना पाने को जाता है।

23 अन्त में उस जवान का कलेजा तीर से बेधा जाएगा; वह उस चिडिय़ा के समान है जो फन्दे की ओर वेग से उड़े और न जानती हो कि उस में मेरे प्राण जाएंगे॥

24 अब हे मेरे पुत्रों, मेरी सुनो, और मेरी बातों पर मन लगाओ।