11 अपने निमित्त, हां अपने ही निमित्त मैं ने यह किया है, मेरा नाम क्यों अपवित्र ठहरे? अपनी महिमा मैं दूसरे को नहीं दूंगा॥
पूरा अध्याय पढ़ें यशायाह 48
देखें संदर्भ में यशायाह 48:11