भजन संहिता 56:2-8 HHBD

2 मेरे द्रोही दिन भर मुझे निगलना चाहते हैं, क्योंकि जो लोग अभिमान करके मुझ से लड़ते हैं वे बहुत हैं।

3 जिस समय मुझे डर लगेगा, मैं तुझ पर भरोसा रखूंगा।

4 परमेश्वर की सहायता से मैं उसके वचन की प्रशंसा करूंगा, परमेश्वर पर मैं ने भरोसा रखा है, मैं नहीं डरूंगा। कोई प्राणी मेरा क्या कर सकता है?

5 वे दिन भर मेरे वचनों को, उलटा अर्थ लगा लगाकर मरोड़ते रहते हैं उनकी सारी कल्पनाएं मेरी ही बुराई करने की होती है।

6 वे सब मिलकर इकट्ठे होते हैं और छिपकर बैठते हैं; वे मेरे कदमों को देखते भालते हैं मानों वे मेरे प्राणों की घात में ताक लगाए बैठें हों।

7 क्या वे बुराई करके भी बच जाएंगे? हे परमेश्वर, अपने क्रोध से देश देश के लोगों को गिरा दे!

8 तू मेरे मारे मारे फिरने का हिसाब रखता है; तू मेरे आंसुओं को अपनी कुप्पी में रख ले! क्या उनकी चर्चा तेरी पुस्तक में नहीं है?